मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

270 Part

34 times read

1 Liked

विद्रोही मुंशी प्रेम चंद उल्टे पाँव लौटा। अब तारा के आँगन से होकर जाने के सिवा दूसरा रास्ता न था। मैंने सोचा, इस जमघट में मुझे कौन पहचानता है, निकल जाऊँगा। ...

Chapter

×